हाथरस। सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज सिकंदराराऊ में गीता जयंती का भव्य आयोजन हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ।कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती और भारत माता के समक्ष दीप प्रज्वलन से हुई। यह शुभ कार्य पंडित सुभाष दीक्षित (वेदाचार्य), राजेंद्र मोहन सक्सेना (पूर्व जिला संघचालक), विनोद कुमार गुप्ता (प्रबंधक), अरुण कुमार, राकेश चंद्र (सदस्य), सुभाष कुमार (प्रधानाचार्य, विद्या मंदिर), और निरंजन लाल (प्रधानाचार्य, शिशु मंदिर) ने संयुक्त रूप से किया।
इस अवसर पर विद्यालय के 1500 विद्यार्थियों ने गीता के 18 अध्यायों से एक-एक श्लोक का सस्वर वाचन किया। कुल 18 श्लोकों का प्रभावशाली पाठ कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुभाष दीक्षित ने श्रीमद्भगवद्गीता की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए इसे हिंदू धर्म का एक पवित्र ग्रंथ बताया। उन्होंने कहा कि गीता में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया ज्ञान न केवल युद्धक्षेत्र में मार्गदर्शन का काम करता है, बल्कि यह जीवन जीने की कला भी सिखाता है।
उन्होंने गीता के प्रमुख संदेशों पर चर्चा की और बताया कि आत्म-ज्ञान की प्राप्ति से आत्म-शांति और संतोष संभव है। गीता हमें निष्काम कर्म की प्रेरणा देती है। इसका मुख्य संदेश है, “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन” (कर्म करो, फल की चिंता मत करो)
“यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः” (श्रेष्ठ पुरुष जो करते हैं, अन्य लोग उनका अनुसरण करते हैं)। मुख्य अतिथि ने कहा कि गीता के इन संदेशों को अपनाकर जीवन में संतुष्टि, शांति और आत्म-ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। भक्ति, समर्पण और त्याग के माध्यम से जीवन को सार्थक बनाना गीता का मुख्य उद्देश्य है।
कार्यक्रम का समापन उत्साह और भक्ति भाव से हुआ। विद्यालय परिवार और विद्यार्थियों ने गीता जयंती को यादगार बनाने के लिए सराहनीय योगदान दिया।