मथुरा। विद्या भारती ब्रज प्रदेश के शिक्षण-प्रशिक्षण विभाग द्वारा शैक्षिक उन्नयन एवं नवाचार को ध्यान में रखते हुए आज एक प्रेरक कार्यशाला का आयोजन श्रीजी बाबा सरस्वती विद्या मंदिर, मथुरा में किया गया। प्रान्त सह संवाददाता उमेश शर्मा के अनुसार कार्यशाला का शुभारंभ शिक्षण प्रशिक्षण प्रमुख, विद्या भारती, ब्रज प्रदेश डॉ• अजय शर्मा, शिवेन्द्र गौतम, डॉ. हरीश सारस्वत, धर्मेंद्र बंसल, अमित कुलश्रेष्ठ, कपिश्वर एवं सह शिक्षण-प्रशिक्षण प्रमुख विनय कुमार सिंह ने माँ शारदा की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन व पुष्पार्चन कर किया।
कार्यशाला कुल पाँच सत्र मे संपन्न हुई। उद्घाटन एवं समापन सत्र के अतिरिक्त, विज्ञान के आचार्यों एवं कक्षा 12 के विद्यार्थियों के लिए समानांतर तीन-तीन सत्र संपन्न हुए। इन सत्रों में आचार्यों ने एन.सी.एफ. (NCF) और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (NEP-2020) के अनुरूप अधिगम की प्रक्रिया तथा पंचपदी शिक्षण पद्धति को व्यवहार में लाकर स्वयं को अपडेट रखने पर बल दिया। आचार्यों ने संकल्प व्यक्त किया कि विद्यालयों को विज्ञानमय बनाया जाएगा, प्रयोगशालाओं को संवर्धित किया जाएगा और शिक्षण में प्रयोगात्मक कार्य पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

प्रथम सत्र में शिक्षण-प्रशिक्षण प्रमुख डॉ. अजय शर्मा ने विचार व्यक्त किया कि परीक्षा में कम अंक आने का कारण प्रतिभा की कमी नहीं, बल्कि अस्वस्थता, दोषपूर्ण तैयारी और मानसिक दबाव है। उन्होंने कहा कि कोई भी छात्र प्रतिभाहीन नहीं होता। सफलता केवल नियमित अभ्यास और अनुशासन का परिणाम है। यदि छात्र परीक्षा पूर्व 150 दिन निरंतर परिश्रम करें तो उत्कृष्ट अंक प्राप्त कर सकते हैं।
द्वितीय सत्र में श्री शिवेन्द्र गौतम, प्रबंधक परमेश्वरी धानुका देवी सरस्वती विद्या मंदिर सीनियर सेकेंडरी स्कूल वृंदावन ने छात्रों से संवाद स्थापित करते हुए कहा कि अध्ययन का मूल मंत्र है—समय प्रबंधन, सकारात्मक सोच और आनंदपूर्वक अध्ययन। उन्होंने बताया कि परीक्षा में वही छात्र सफल होता है, जो संकल्पित होकर ध्यानपूर्वक और निरंतर अभ्यास करता है। शिक्षकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आचार्य का कर्तव्य केवल ज्ञान देना ही नहीं, बल्कि छात्रों की विशिष्टताओं को पहचानकर उन्हें प्रेरित करना भी है।
तृतीय सत्र में मोटिवेशनल स्पीकर श्री अजय सुमन शुक्ला ने कहा कि सकारात्मक सोच और समय का सदुपयोग ही सफलता की कुंजी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि छात्र कक्षा में प्रथम पंक्ति में बैठे या अंतिम पंक्ति में, इसका कोई महत्व नहीं; वास्तविक महत्व समर्पण, परिश्रम और गुरुजनों के प्रति सम्मान का है। उन्होंने शिक्षकों से आह्वान किया कि वे छात्रों में आत्मविश्वास भरें और सदैव धन्यवादभाव से युक्त रहें।
समापन के अवसर पर डॉ. अजय शर्मा, शिक्षण प्रशिक्षण प्रमुख विद्या भारती, ब्रज प्रदेश ने कहा कि बोलने से अधिक क्रियान्वयन का पक्ष महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने आह्वान किया कि सभी सहभागी कार्यशाला में आये बिंदुओं को अपने विद्यालयों में लागू करें, ताकि शिक्षकों के सुझाव और प्रयोग सीधे छात्रों तक पहुँच सकें। उन्होंने यह भी कहा कि वास्तव में कोई भी छात्र कमजोर नहीं होता, यदि उसे सही दिशा और समयबद्ध सहयोग मिले तो वह अवश्य सफल होगा। परीक्षा में शेष 150 दिनों का गम्भीरतापूर्वक सद्पयोग करेंगें तब यह कार्यशाला सफल मानी जायेगी।
कार्यक्रम के संयोजक एवं सह शिक्षण-प्रशिक्षण प्रमुख श्री विनय कुमार सिंह ने बताया कि इस कार्यशाला में मथुरा संकुल के 14 विद्यालयों के 102 छात्र-छात्राओं तथा 23 आचार्य एवं आचार्या बहिनों ने सहभागिता की। कार्यशाला का समापन शांति मंत्र के साथ हुआ। आयोजन में समयबद्धता का विशेष ध्यान रखा गया और प्रत्येक सत्र नियत समय पर प्रारंभ एवं संपन्न हुआ।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से धर्मेंद्र बंसल, डॉ. हरीश सारस्वत, अमित कुलश्रेष्ठ, सुधीर त्रिवेदी, उमेश शर्मा, कपिश्वर, के.के. शर्मा सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित रहे।