विद्या भारती ब्रज प्रदेश द्वारा आयोजित सप्त दिवसीय शिशु वाटिका प्रशिक्षण वर्ग की प्रभावी पूर्णाहुति

मथुरा। विद्या भारती ब्रज प्रदेश के तत्वावधान में आयोजित सप्त दिवसीय शिशु वाटिका प्रशिक्षण वर्ग का सफल समापन 30 मई को उल्लासपूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ। यह प्रशिक्षण वर्ग मथुरा स्थित माधव कुंज के कृष्ण चंद्र गांधी सरस्वती शिशु मंदिर में संपन्न हुआ, जिसमें ब्रज प्रान्त के विभिन्न जनपदों से शिक्षिकाओं ने उत्साहपूर्वक सहभागिता की।
प्रशिक्षण वर्ग का शुभारंभ 24 मई को सायं 6 बजे पश्चिम उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्र संगठन मंत्री श्री डोमेश्वर साहू जी के करकमलों द्वारा दीप प्रज्वलन एवं मंगलाचरण के साथ हुआ। उद्घाटन सत्र में उन्होंने प्रशिक्षण के उद्देश्य, शिशु शिक्षा के मूल तत्व एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2025 की प्राथमिकताओं पर विस्तार से प्रकाश डाला।

इस वर्ग में भारतीय शिक्षा समिति ब्रज प्रदेश एवं भारतीय शिक्षा समिति (CBSE) से 10, श्री विद्या परिषद उत्तर प्रदेश से 02, जन शिक्षा समिति ब्रज प्रदेश से 10 एवं शिशु शिक्षा समिति ब्रज प्रदेश से 63 आचार्याओं सहित कुल 85 शिक्षिकाओं ने सहभागिता की।
सप्ताह भर चले इस गहन प्रशिक्षण शिविर में 36 सत्रों का संचालन किया गया, जिनमें 24 प्रशिक्षकों ने अपने अनुभव एवं विषय विशेषज्ञता से प्रतिभागियों का मार्गदर्शन किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में 5 क्षेत्रीय अधिकारी, 7 प्रांतीय अधिकारी तथा 7 जिला संयोजक भी अपनी गरिमामयी उपस्थिति के साथ सहभागी रहे।

शिशु वाटिका प्रमुख श्री राम किशोर श्रीवास्तव ने जानकारी दी कि वर्तमान में ब्रज प्रान्त में 24 आदर्श वाटिकाएं, 01 नमूना प्रयास एवं 287 प्रत्यतनशील शिशु वाटिकाएं संचालित हो रही हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इस प्रशिक्षण वर्ग में क्रिया आधारित, खेल आधारित एवं व्यवहारिक शिक्षण पद्धतियों पर विशेष बल दिया गया, जिससे शिक्षिकाओं को नवाचार पूर्ण, आनंददायक तथा प्रभावी शिक्षण की दिशा में मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। संपूर्ण प्रशिक्षण राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की मूल भावना के अनुरूप आयोजित किया गया।
प्रशिक्षण वर्ग के दौरान देव दर्शन योजना के अंतर्गत प्रतिभागियों को श्रीकृष्ण जन्मभूमि, प्रेम मंदिर एवं चार धाम मंदिर का अवलोकन कराया गया, जिससे उन्हें सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक प्रेरणा भी प्राप्त हुई।
प्रशिक्षण वर्ग में प्रतिभागियों द्वारा हस्तलिखित पत्रिका “हमारा प्रयास” का सृजन एवं संपादन किया गया, जिसका लोकार्पण श्री हरीशंकर जी (संगठन मंत्री) ने किया। उन्होंने इस अवसर पर उपस्थित आचार्याओं को संबोधित करते हुए कहा कि –
“शिशु वाटिकाएं केवल ज्ञान का केंद्र नहीं, अपितु संस्कार, व्यवहार और भारतीय जीवन मूल्यों की प्रयोगशाला हैं। अतः आचार्याएं अपने विद्यालयों में क्रिया, खेल और व्यवहार आधारित शिक्षण पूर्ण मनोयोग से करें।”
समापन समारोह 30 मई को प्रभावशाली ढंग से संपन्न हुआ। इस अवसर पर प्रतिभागियों द्वारा पर्यावरण संरक्षण, मोबाइल के दुष्प्रभाव, आदर्श घर एवं सामाजिक रीति-रिवाज जैसे समसामयिक विषयों पर आधारित लघु नाटिकाएं प्रस्तुत की गईं, जिनमें उनकी रचनात्मकता, सामूहिकता एवं मूल्यपरक चिंतन दृष्टिगोचर हुई।