विद्यालय शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक चेतना का केंद्र भी बने।

अलीगढ़। श्री शांति देवी कल्याण दास सरस्वती विद्या मंदिर सीनियर सेकेंडरी स्कूल, छर्रा, अपने छात्रों को शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना से जोड़ने का कार्य कर रहा है। प्रधानाचार्य बालकिशन जी के निर्देशन में विद्यालय में सनातनी परंपराओं और संस्कारों को जीवंत रखने के लिए अनूठी पहल की जा रही है।
गौ माता के लिए पहली रोटी की सेवा :- परंपरागत रूप से हिंदू परिवारों में गौ माता के लिए पहली रोटी निकालने की परंपरा कमजोर पड़ती जा रही है, विशेषकर शहरी क्षेत्रों में। इसे पुनर्जीवित करने और अगली पीढ़ी को इसके महत्व से अवगत कराने के उद्देश्य से विद्यालय ने “गौ ग्रास सेवा” कार्यक्रम शुरू किया है। इसके तहत छात्रों से आग्रह किया गया कि वे अपने घर से गौ माता के लिए पहली रोटी लाएं। यह रोटी विद्यालय के गौ ग्रास सेवा पात्र में जमा की जाती है, जिसे नगर की गौशाला में भेजा जाता है। सभी छात्र-छात्राएं इस सेवा कार्य में पूरे मनोयोग से सहभागी बन रहे हैं और यह उनका प्रतिदिन का संकल्प बन गया है।
सनातनी परंपराओं को सहेजने की पहल:- सनातनी संस्कृति के प्रतीक चंदन का तिलक और चोटी रखने की परंपरा, जो आधुनिकता के प्रभाव में लगभग समाप्त हो रही है, को पुनर्जीवित करने के लिए विद्यालय ने विशेष प्रयास किए हैं। छात्रों को प्रतिदिन सुबह अपने इष्ट देव और माता-पिता को प्रणाम कर चंदन का तिलक लगाकर विद्यालय आने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
जो छात्र किसी कारणवश तिलक लगाकर नहीं आते, उनके लिए विद्यालय में चंदन की व्यवस्था की गई है। वहां आचार्य बंधु-भगिनी सभी छात्रों को चंदन का तिलक लगाते हैं। यह परंपरा बच्चों को न केवल अपनी संस्कृति के प्रति गौरव महसूस कराती है, बल्कि उनके व्यक्तित्व में आध्यात्मिकता और संस्कारों का विकास भी करती है।
प्रधानाचार्य बालकिशन जी ने बताया कि, “विद्यालय केवल शिक्षा का केंद्र नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक जागरण का माध्यम भी होना चाहिए। यह पहल बच्चों को अपनी जड़ों से जोड़ने और सनातनी मूल्यों को समझने का अवसर प्रदान करती है।”