हिन्दी विषय की पाठ्यपुस्तकों की समीक्षा-संपादन कार्यशाला सम्पन्न

मथुरा। सरस्वती विद्या मंदिर ब्रज प्रदेश प्रकाशन, माधव कुंज द्वारा हिन्दी विषय की पाठ्यपुस्तकों की समीक्षा एवं संपादन हेतु दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में कक्षा एकादश एवं द्वादश की पुस्तकों के संपादन तथा नवम एवं दशम की पुस्तकों की समीक्षा पर केन्द्रित विमर्श हुआ।
कार्यशाला का शुभारंभ विद्या भारती ब्रज प्रदेश के शैक्षिक प्रमुख प्रोफेसर (डॉ.) राकेश सारस्वत के उद्घाटन भाषण से हुआ। उन्होंने राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की आवश्यकता, स्वरूप और नवीन परिवर्तनों पर प्रकाश डालते हुए शिक्षकों की भूमिका को रेखांकित किया।
भारतीय शिक्षा समिति के उपाध्यक्ष श्री चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने हिन्दी भाषा की विविध विधाओं के विकास और विद्यार्थियों के व्यवहारिक भाषा-ज्ञान को सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।

कार्यशाला के द्वितीय दिवस पर मुख्य अतिथि प्रोफेसर (डॉ.) विजेन्द्र प्रताप सिंह ने पुस्तक लेखन की बारीकियों तथा भाषा के विकास में पुस्तकों की भूमिका पर विचार रखे। उन्होंने कहा कि समयानुकूल संशोधन पाठ्यपुस्तकों को अधिक उपयोगी बनाता है।
शिक्षण-प्रशिक्षण प्रमुख डॉ. अजय शर्मा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आलोक में पुस्तक निर्माण की प्रक्रिया पर बल देते हुए कहा कि पाठ्यवस्तु का उद्देश्य स्पष्ट हो और उसकी शैक्षिक संप्राप्ति सुनिश्चित की जाए।

लखनऊ से पधारे श्री अशोक शर्मा ने अभ्यास कार्यों को प्रतियोगी परीक्षाओं के दृष्टिकोण से उपयोगी बनाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि छात्रों के मूल्यांकन का आधार उनकी व्यावहारिक समझ होनी चाहिए।
कार्यशाला का कुशल संचालन ब्रज प्रदेश प्रकाशन के निदेशक डॉ. राम सेवक ने किया। उन्होंने सभी अतिथियों व प्रतिभागियों को उत्तरीय पहनाकर सम्मानित किया तथा उनके प्रति आभार व्यक्त किया।
इस दो दिवसीय कार्यशाला में 12 हिन्दी प्रवक्ताओं तथा 6 विषय विशेषज्ञों ने सहभागिता की। सभी ने कार्यशाला को अत्यंत उपयोगी और मार्गदर्शक बताया।
इस कार्यशाला में विषय-विशेषज्ञ श्री वीरेन्द्र मिश्रा, श्री नरेन्द्र (सिकन्द्राबाद), श्री मनोहर, श्री रामबाबू जी, श्री विनोद (खुर्जा), श्री श्रीधर जी, श्री रामनिवास शर्मा (खेरागढ़), श्री आश्विनी (अतरौली), श्री प्रद्युम्न (बल्देव), श्री घनश्यामदास गुप्ता, श्री अजय जी (सिकन्द्राराव) तथा श्री शिव दयाल (शिकोहाबाद) प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।